Tuesday, July 10, 2012

barsaat

दिन बहुत मुश्किल से बीता ,
नहीं  कटती  रात  भी .
मीत  का सन्देश पर .
लाई नहीं बरसात भी !

बादलों  ने गीत  गाए  .,
हवाओं की बजी पायल ,
पर घटा   रोती  रही ,
लेकर हृदय में मूक हलचल ,
तीर जैसा  लग  रहा ,
बूँदों का कोमल गात भी !

श्वेत जल -कण जब सुनाते ,
अपनी  कोमल  रागिनी ,
स्वर को उनके बिखरा देती .
चपल ,चंचल ,  दामिनी ,
सुरभि को  अपनी लुटा ,
चुप खड़ा पारिजात भी !

Sunday, December 18, 2011

mook nimantran

दूर कहीं कोयल ने गीत कोई गया है ,
आकुल मन -पंछी ने आमंत्रण पाया है !

ह्रदय के स्पंदन में बजने लगी रागिनी ,
रोक -टोक चितवन को पूछती है यामिनी ,
रोज़  कौन  आता है  सपनों में  तेरे  ?
पलकों का झुक जाना ,
धड़कन का थम जाना ,
मन के हर भेद खोल कोई गुनगुनाया है ,,!

नयनो में प्रणय के विस्तार की है सीमा ,
मूक -निमंत्रण है अधरों के कम्पन का ,
स्वप्निल वातायन में अर्पित है मन -प्रसून ,
जीवन   के  हर पल में ,
स्मृति के  हर पल में ,
सांसों की हर लय में कोई आ समाया है ,,!













Tuesday, December 13, 2011

ek masoom sa pal

दर्द की कोख से जन्मा हुआ .
एक मासूम सा पल ...
ओस की नन्ही -नन्ही बूंदों सा कोमल
उसका वजूद ..
मैं उसके शरीर को कल्पना की उँगलियों से ,
सहलाती हूँ ...
वह मासूम सा पल जाग उठता है 
चौंक कर .....

और मेरी उँगलियों को अपनी
नन्ही सी हथेली में कैद कर लेता है  १
उसकी मुस्कुराती आंखों में ,
जीवन का गीत है ...
नन्हे से पल की इस मासूमियत पर
मेरा दर्द .हिमालय की   तरह  पिघलता है ..
और बह जाती है ....
उसे जन्म देने की असह्य वेदना ...                                                                                                                                                               

Friday, May 27, 2011

smritiyaan

परकटे पक्षी की तरह ,
ह्रदय में कैद  हैं  स्मृतियाँ,

स्मृतियाँ ...
जिनमें लड़कपन की चपलता है ,
यौवन की उमंग है ,
बुढ़ापे का गाम्भीर्य है  ,
पावस के प्रथम स्पर्श से उठी ,
मिटटी की सोंधी सुगंध है ,
ओस भीगी निशा का ,
मधुर, मादक  सौंदर्य है ,
तारों भरे आकाश की ,
मीठी लोरी है ....

और है एक निस्तब्धता ,
जो अनकहे ,अनछुए सच की
अनुभूति कराती हैं ..
पता नहीं ,ये स्मृतियाँ
क्यों उम्रकैद काट रही हैं ,
मेरे अंतर में..

क्या कभी तुमने ,
इन कोमल स्मृतियों का .
कोई कोना स्पर्श किया है ..
शायद नहीं ...
तो आओ आज इन्हें अपने हाथों से छूकर .
मुक्त कर दो ...
स्मृति होने के अभिशाप से ..!

Saturday, May 7, 2011

tum hamaare

सांझ का आँचल ढलकता ,
अनगिनत सपने सँवारे !

विरहिणी श्यामल -निशा ,
हर पल अनागत को पुकारे !

सूना -सूना सा ये पनघट ,
राह किस प्रिय की निहारे !

एक सरिता शांत बहती ,
पड़े हैं गुमसुम किनारे !

गीत कोई भी न जगता ,
सच न होते स्वप्न सारे!

तृषित रहता प्रणय-पागल ,
छवि कोई मन में उतारे !

कितने धुँधले होते दर्पण,
यदि न होते तुम हमारे !














Friday, March 18, 2011

samvedana

सड़क पर तेजी से जाते हुए सवार ने देखा .....
एक वृद्ध व्यक्ति गिर कर ,
कराह रहा था ,
कराह थी तीव्र पीड़ा की
पैरों में चोट लगी थी शायद ,
उसे देख कर मन भर आया
बहुत दूर .....
किसी गाँव में बैठा हुआ ,
वृद्ध पिता याद आया ,
लेकिन ....
घडी में दस बज रहे थे ,
उसे ऑफिस समय पर पहुँचना था
वरना देर से पहुँचने पर ,
आज फिर वेतन कट जायेगा ,
और पिता की दवाओं का खर्च
कहाँ से आयेगा,
एक लम्बी साँस लेकर
 वह चल पड़ा उस रास्ते पर ...
जो उसके ऑफिस की ओर जाता था .....!

Wednesday, March 16, 2011

faguni bayar

मादक सा झोंका ये फागुनी बयार का !
आमंत्रण  लाया  है  बासंती प्यार का !

रतिपति के स्वागत में कोपलें हैं फूलीं ,
प्रिय के आलिंगन में वसुधा सब भूली ,
मन-वीणा में स्वर है सुमधुर झंकार का !

भ्रमरों का गुंजन है हर मन की डाल पर,
प्रेम रंग  रंजित  है  गोरी  के  गाल , पर, 
अदभुत सा उत्सव है मन की इस हार का !

पुष्प-बाण से   घायल  है  सारी  सृष्टि ,
यौवन है  मुग्ध और  चंचल  है  दृष्टि ,
कोई  अनुबंध  नहीं  प्रेम के आधार का !
आमंत्रण लाया है . . . . . . .