Tuesday, July 10, 2012

barsaat

दिन बहुत मुश्किल से बीता ,
नहीं  कटती  रात  भी .
मीत  का सन्देश पर .
लाई नहीं बरसात भी !

बादलों  ने गीत  गाए  .,
हवाओं की बजी पायल ,
पर घटा   रोती  रही ,
लेकर हृदय में मूक हलचल ,
तीर जैसा  लग  रहा ,
बूँदों का कोमल गात भी !

श्वेत जल -कण जब सुनाते ,
अपनी  कोमल  रागिनी ,
स्वर को उनके बिखरा देती .
चपल ,चंचल ,  दामिनी ,
सुरभि को  अपनी लुटा ,
चुप खड़ा पारिजात भी !