Friday, May 27, 2011

smritiyaan

परकटे पक्षी की तरह ,
ह्रदय में कैद  हैं  स्मृतियाँ,

स्मृतियाँ ...
जिनमें लड़कपन की चपलता है ,
यौवन की उमंग है ,
बुढ़ापे का गाम्भीर्य है  ,
पावस के प्रथम स्पर्श से उठी ,
मिटटी की सोंधी सुगंध है ,
ओस भीगी निशा का ,
मधुर, मादक  सौंदर्य है ,
तारों भरे आकाश की ,
मीठी लोरी है ....

और है एक निस्तब्धता ,
जो अनकहे ,अनछुए सच की
अनुभूति कराती हैं ..
पता नहीं ,ये स्मृतियाँ
क्यों उम्रकैद काट रही हैं ,
मेरे अंतर में..

क्या कभी तुमने ,
इन कोमल स्मृतियों का .
कोई कोना स्पर्श किया है ..
शायद नहीं ...
तो आओ आज इन्हें अपने हाथों से छूकर .
मुक्त कर दो ...
स्मृति होने के अभिशाप से ..!

Saturday, May 7, 2011

tum hamaare

सांझ का आँचल ढलकता ,
अनगिनत सपने सँवारे !

विरहिणी श्यामल -निशा ,
हर पल अनागत को पुकारे !

सूना -सूना सा ये पनघट ,
राह किस प्रिय की निहारे !

एक सरिता शांत बहती ,
पड़े हैं गुमसुम किनारे !

गीत कोई भी न जगता ,
सच न होते स्वप्न सारे!

तृषित रहता प्रणय-पागल ,
छवि कोई मन में उतारे !

कितने धुँधले होते दर्पण,
यदि न होते तुम हमारे !