Sunday, December 18, 2011

mook nimantran

दूर कहीं कोयल ने गीत कोई गया है ,
आकुल मन -पंछी ने आमंत्रण पाया है !

ह्रदय के स्पंदन में बजने लगी रागिनी ,
रोक -टोक चितवन को पूछती है यामिनी ,
रोज़  कौन  आता है  सपनों में  तेरे  ?
पलकों का झुक जाना ,
धड़कन का थम जाना ,
मन के हर भेद खोल कोई गुनगुनाया है ,,!

नयनो में प्रणय के विस्तार की है सीमा ,
मूक -निमंत्रण है अधरों के कम्पन का ,
स्वप्निल वातायन में अर्पित है मन -प्रसून ,
जीवन   के  हर पल में ,
स्मृति के  हर पल में ,
सांसों की हर लय में कोई आ समाया है ,,!













Tuesday, December 13, 2011

ek masoom sa pal

दर्द की कोख से जन्मा हुआ .
एक मासूम सा पल ...
ओस की नन्ही -नन्ही बूंदों सा कोमल
उसका वजूद ..
मैं उसके शरीर को कल्पना की उँगलियों से ,
सहलाती हूँ ...
वह मासूम सा पल जाग उठता है 
चौंक कर .....

और मेरी उँगलियों को अपनी
नन्ही सी हथेली में कैद कर लेता है  १
उसकी मुस्कुराती आंखों में ,
जीवन का गीत है ...
नन्हे से पल की इस मासूमियत पर
मेरा दर्द .हिमालय की   तरह  पिघलता है ..
और बह जाती है ....
उसे जन्म देने की असह्य वेदना ...