Sunday, December 18, 2011

mook nimantran

दूर कहीं कोयल ने गीत कोई गया है ,
आकुल मन -पंछी ने आमंत्रण पाया है !

ह्रदय के स्पंदन में बजने लगी रागिनी ,
रोक -टोक चितवन को पूछती है यामिनी ,
रोज़  कौन  आता है  सपनों में  तेरे  ?
पलकों का झुक जाना ,
धड़कन का थम जाना ,
मन के हर भेद खोल कोई गुनगुनाया है ,,!

नयनो में प्रणय के विस्तार की है सीमा ,
मूक -निमंत्रण है अधरों के कम्पन का ,
स्वप्निल वातायन में अर्पित है मन -प्रसून ,
जीवन   के  हर पल में ,
स्मृति के  हर पल में ,
सांसों की हर लय में कोई आ समाया है ,,!













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