दर्द की कोख से जन्मा हुआ .
एक मासूम सा पल ...
ओस की नन्ही -नन्ही बूंदों सा कोमल
उसका वजूद ..
मैं उसके शरीर को कल्पना की उँगलियों से ,
सहलाती हूँ ...
वह मासूम सा पल जाग उठता है
चौंक कर .....
और मेरी उँगलियों को अपनी
नन्ही सी हथेली में कैद कर लेता है १
उसकी मुस्कुराती आंखों में ,
जीवन का गीत है ...
नन्हे से पल की इस मासूमियत पर
मेरा दर्द .हिमालय की तरह पिघलता है ..
और बह जाती है ....
उसे जन्म देने की असह्य वेदना ...
एक मासूम सा पल ...
ओस की नन्ही -नन्ही बूंदों सा कोमल
उसका वजूद ..
मैं उसके शरीर को कल्पना की उँगलियों से ,
सहलाती हूँ ...
वह मासूम सा पल जाग उठता है
चौंक कर .....
और मेरी उँगलियों को अपनी
नन्ही सी हथेली में कैद कर लेता है १
उसकी मुस्कुराती आंखों में ,
जीवन का गीत है ...
नन्हे से पल की इस मासूमियत पर
मेरा दर्द .हिमालय की तरह पिघलता है ..
और बह जाती है ....
उसे जन्म देने की असह्य वेदना ...
umda rachna
ReplyDeletedhanywad ji...
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