तृषित अधूरी अभिलाषा का,
तांडव मन में चलता है ,
दुनिया की आपाधापी में ,
मानव भागा करता है
जब नीरव,सूनी आँखों में
कोई सपना पलता है
उसको पूरा करने की कोशिश में
मानव जलता है
कुछ सपने पूरे करने में,
वह तिल -तिल कर मरता है ,
कोई अंत नहीं है इसका ,
सफ़र यही तो कहता है......
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