शब्द हैं,
भावों की अनुगूँज,
जो सरल ,सहज ,
भावनाओं को ,
प्रदान करते हैं नूतन स्वरुप .
शब्द हैं,
लुटेरे ,
जो अपने अस्तित्व को
प्रकाशित करके लूट लेते हैं ,
सुख ,चैन ,नींद ,हंसी
शब्द हैं ,
बहुरुपिए,
जो अपने अनेकानेक रूपों में ,
हमारे सामने उपस्थित हो जाते हैं
कहीं भी ,कभी भी .
शब्द हैं ,
अभिनेता ,
जो झूठ पर. सच का आवरण चढ़ाकर ,
झूठ को स्थापित करते हैं ,
सत्य को झुठलाकर.
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