दिन बहुत मुश्किल से बीता ,
नहीं कटती रात भी .
मीत का सन्देश पर .
लाई नहीं बरसात भी !
बादलों ने गीत गाए .,
हवाओं की बजी पायल ,
पर घटा रोती रही ,
लेकर हृदय में मूक हलचल ,
तीर जैसा लग रहा ,
बूँदों का कोमल गात भी !
श्वेत जल -कण जब सुनाते ,
अपनी कोमल रागिनी ,
स्वर को उनके बिखरा देती .
चपल ,चंचल , दामिनी ,
सुरभि को अपनी लुटा ,
चुप खड़ा पारिजात भी !
नहीं कटती रात भी .
मीत का सन्देश पर .
लाई नहीं बरसात भी !
बादलों ने गीत गाए .,
हवाओं की बजी पायल ,
पर घटा रोती रही ,
लेकर हृदय में मूक हलचल ,
तीर जैसा लग रहा ,
बूँदों का कोमल गात भी !
श्वेत जल -कण जब सुनाते ,
अपनी कोमल रागिनी ,
स्वर को उनके बिखरा देती .
चपल ,चंचल , दामिनी ,
सुरभि को अपनी लुटा ,
चुप खड़ा पारिजात भी !